“जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है।”
      पुरुष को हमेशा एक स्त्री का साथ चाहिए      फिर वो चाहे मन्दिर हो या संसार      मंदिर में कृष्ण के साथ --> राधा                   राम के साथ --> सीता               शंकर के साथ --> पार्वती            सुबह से रात तक मनुष्य को               अपने हर काम में                  एक स्त्री की             आवश्यकता होती ही है.            पढ़ते समय --> विद्या                   फिर --> लक्ष्मी          और अंत में -->  शाँति   दिन की शुरुआत --> ऊषा के साथ,    दिन की समाप्ति --> संध्या से होती है.      किन्तु काम तो --> अन्नपूर्णा के लिये ही करना है.           रात यानी --> निशा के समय भी                      ...